Monday, July 5, 2010

प्रेम की पीड़ा

उत्तर भारत में प्रेम का जोर बढ़ रहा हैयह प्रेम त्याग और बलिदान वाला नहीं हैजाति और समाज से छुप कर होने वाला प्रेम उफान पर हैखाप और पंचायतें चाहे दिल्ली के पास के हों या दूर की, जोश से भरे बेदर्द फैसले अपने दम पर लागू कर रही हैंप्रेम तक तो ठीक है पर शादी के बाद बड़ी समस्या बन रहीं हैंकिशोर- किशोरी भी युवा होते ही विवाह को अधिक आतुर हो रहे हैंपर विवाह भी अपनी पसंद का
मशहूर मॉडल विवेका बाबा जी ने बम्बई में पसंदीदा साथी नहीं मिल पाने के कारण आत्महत्या कर लीमेरी एक परिचित हैंजिन्ना पर चर्चा करती थींउनका एक परिचित के साथ जुडाव हुआ, भावनात्मक स्तर परमित्र पुलिस सेवा के शीर्ष पद पर चुना गयादोनों तय नहीं कर पा रहे हैं विवाह करें या नहींरिश्ता ना बन पा रहा है ना टूट पा रहा हैपरेशानी दोनों तरफ है
एक और जूनियर फ्रेंड हैउन्हें भी प्रेम हुआमाता जी कहती थीं इस तरह का प्रेम टिक नहीं पाता हैमाता जी कम पढ़ी-लिखी थींमेरे मित्र युवा और जाति विहीन समाज वाले थेआदर्श इतना भरा था कि गुजरात के भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए बतौर स्वयंसेवक काम करने गए थेकन्या भी सुशील ओर समर्पिता आदर्श युवती थीचंचल, हंसमुख और हाजिरजवाबकान की शिकायत थीकम सुन पाती थींकभी-कभी लगा कि प्रेम का यह जोड़ा टिक जाएगा पर परिणाम प्रत्याशित रहा, कम से कम माता जी के लिएवे सही साबित हो गईंमित्र कि पत्नी का कान ठीक हो गयासुनने लगींड़ोस-पड़ोस से भीमित्र खामी से भरे साबित किये जाने लगेपांच वर्षों के अन्दर ही पहले लव समाप्त हुआ, फिर मैरिज- कोर्ट तक पहुँच कर

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पाकिस्तान के कोट लखपत जेल में भारतीयों को यातनाएं दी जाती हैं तथा "सपोला" एवं "ब्लडी इंडियन" नाम से पुकारा जाता है। (नयी दुनिया 26/06/2010 pg. 3 से)

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प्रोफ़ेसर पी. सी. रे ने History of hindu chemistry में रसायनशास्त्री नागार्जुन को सातवीं-आठवीं सदी का माना है
नागार्जुन को बौद्ध धर्म की महायान शाखा का प्रवर्तक माना जाता हैअतः इनकी उपस्थिति दूसरी-तीसरी सदी की हो सकती हैइनका बचपन नालंदा के बालेन्द्र विहार में बीता था
रसायन पर चर्चित पुस्तकें-
-रस रत्नाकर
-रसेन्द्र मंगल

यदि किन्ही के पास हिस्ट्री ऑफ़ हिन्दू केमेस्ट्री की कॉपी हो तो कृपया सूचित करेंगे
(HBBB 24/06/10)

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अगली पोस्टिंग में पंडित राम दयाल तिवारी की गाँधी मीमांसा पर चर्चा

5 comments:

  1. लव का मैरिज - कोर्ट तक पहुँच कर समाप्त. :)

    अन्‍य जानकारियां काम की है, अगले पोस्‍ट का इंतजार है, धन्‍यवाद भाई साहब.

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  2. prem abujh rah kar hi sarthak hota hai. kabhi nasamjhi to kabhi samajhdari se anarth bhi hota hai.

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  3. प्रेम कि परि भाषाएँ समय सापेक्ष हो जाया करती है. नकारात्मक नतीजों के बजाए सकारात्मक प्रेम बंधनों पर गौर किया जाए तो एक बात सामने आती है की सारा मामला पारस्परिक सामंजस्य तथा पार्टनरों के TOLERANCE QUOTIENT का है.!

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  4. प्रेम पर http://main-samay-hoon.blogspot.com/2009_05_01_archive.html देखिए। हिन्दू रसायन पर ध्यान दूंगा।

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